Thursday, April 29, 2010

दो पहलू


ज़िन्दगी पहलू १....
दूर जहाँ सूरज ढले,
ये समंदर और आकाश मिले,
जाना वहाँ, जब ये चाह पले
मालूम छलावा है ये मंजिल,
सफ़र चुनौती, जिंदगी पर ही दाव चले
किस्मत कर मुट्ठी में बंद,
बस आगे ही नाव चले
तो बता फिर ऐ माझी!
साहिल में ऐसा रख्खा क्या है

जिंदगी पहलू २...
अथाह समंदर बीच खड़ा,
अकेला, अस्मंजस में पड़ा,
हाथों की लकीरों में जब,
खुद का चेहरा हो गड़ा
दो बूँद पानी जो मिटा दे प्यास,
जमीं पर हो पाओं, बस यही हो आस
दो गज़ जमीन, फिर पूरी कायनात में रख्खा क्या है
फिर पूछता हूँ तुझसे माझी,
बता तेरा साहिल से रिश्ता क्या है