Friday, June 29, 2007

चाहत

बहुत मुश्किल है चाहत को दिल में दबाए रखना
जैसे मुश्किल है उफनती लहरों से साहिल को बचाए रखना
शरीफों की फहरिश्त में हम अव्वल हैं मगर,
नादानी हो जाती है कभी-कभार, दामन बचाए रखना

2 comments:

footloose said...

sir there z no fun in a life without any mistake...being sensible is good but making a mistake is human...

Suraj said...

Dil hi toh hai ..kabhi kabhi bahak bhi jata hai