Sunday, August 03, 2008

कभी कभी मेरे दिल में ख्याल आता है॥
की चाँद अगर चकोर होता,
अरिअल व्हाइट पर बोर होता।
पूनम की कोई राह न तकता,
अमावस का ही ज़ोर होता॥
प्रेम रस की गंगा में जब,
सूखा बड़ा घनघोर होता।
लैलाओं के भाव ना भड़ते,
गर चाँद यूँ ही चित चोर ना होता॥
रात्रि नभ के आकर्षण में,
तारों का मोल कुछ और होता।
हाई टाईड लो टाईड का पता नही,
पर शायद धरती का भी छोर होता॥

4 comments:

MyBlog said...

bhai waah! maje aa gaye............:-)

Nikhil Sukanth said...

verma ji,tanhaiyon me kavi bahar aa gaya..........kahi ye chaand India me to nahi......

footloose said...

Sir, maan gaye !! aap ke andar ka kavi zabardast hai !! please keep on writing more and more ...

Suraj said...

Sahi kah raho Verma ji.